सार-संक्षेप

 ज़ाकिर अली 'रजनीश' की प्रमुख विज्ञान कथाओं का सार-संक्षेप

Ek Kahani-Popular Hindi Science Fiction
एक कहानी- 'एक कहानी' विज्ञान कथाकार ज़ाकिर अली 'रजनीश' की चर्चित कहानी है। इस कहानी में एक ऐसे लेखक का वर्णन है, जो एक दिन 21वीं सदी से निकल कर अचानक 50वीं सदी में पहुंच जाता है। उस सदी के वैज्ञानिक लेखक के मस्तिष्क का अध्ययन करके कहानी लिखने वाले यंत्र का निर्माण करते हैं। लेखक मौका देखकर कहानी लेखन यंत्र को लेकर भागने की कोशिश करता है। तभी सुरक्षा रोबोट उसपर हमला कर देता है। इससे समुद्र की तलहटी में स्थित उस प्रयोगशाला की दीवार में छेद हो जाता है और वहां पानी भर जाता है। लेखक पानी में डूबने उतराने लगता है। उसी समय लेखक की आंख खुल जाती है। यह देखकर लेखक मुस्करा पड़ता है और सपने की कहानी को कागज में उतारने लगता है। यह कहानी हिन्दी साहित्य की लोकप्रिय पत्रिका 'धर्मयुग' के मार्च, 1996 के अंक में प्रकाशित हो चुकी है।

निर्णय- 'निर्णय' विज्ञान कथाकार ज़ाकिर अली 'रजनीश' की चर्चित कहानी है। कहानी की नायिका जरीना एक मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवार की लड़की है। उसके परिवार में छ: अन्य बहने हैं, जो लड़के की उम्मीद में धरती पर अवतरित हुई थीं। संयोग से जरीना की बहनों की जब शादी होती है, तो उनके घर में भी लड़कियों का जन्म होता है। इससे उन्हें बुरी तरह से प्रताड़ित किया जाता है। यह देखकर जरीना तड़प उठती है और एक ऐसी वैक्सीन का निर्माण करती है, जिसके इस्तेमाल से पुरूषों के वाई क्रोमोसोम को मजबूत बनाकर लड़के की इच्छा-पूर्ति की जा सके। जरीना की इस खोज की सूचना एक उद्योगपति को मिलती है और वह इस वैक्सीन के बदले में उसे लाखों रूपये का आफर देता है। लेकिन अंतिम समय में जरीना उस कॉन्ट्रैक्ट को फाड़ देती है और चंद नोटों के लिए समाज का ताना-बाना छिन्न-भिन्न करने से इनकार कर देती है। यह कहानी 'इंडिया टुडे' के 30 नवम्बर, 1995 के अंक में प्रकाशित हो चुकी है।

जरूरत- यह जाकिर अली 'रजनीश' की प्रारम्भिक विज्ञान कथा है, जिसमें समययान को आधार बनाकर पर्यावरण की चिंताओं को सशक्त ढ़ंग से उकेरा गया है। कहानी के नायक प्रोफेसर यासीन अपने सहायक विजय के साथ समययान से 25वीं सदी की यात्रा पर जाते हैं। लेकिन उस समय की उजाड़ और वीरान धरती को देखकर वे हतप्रभ रह जाते हैं। उस सदी के लोग धरती के भीतर चूहों की तरह घर बनाकर रहते हैं। वहां पर प्रोफेसर यासीन और उनके सहयोगी को धरती के विनाश का जिम्मेदार मानते हुए उनपर मुकदमा चलाया जाता है और उन्हें मृत्युदण्ड की सजा सुनाई जाती है। यह सुनकर प्रोफेसर यासीन की आंख खुल जाती है। उस समय वे स्वयं को अपनी प्रयोगशाला में पाते हैं। तभी उनका सहायक विजय समययान का परीक्षण सफल होने की सूचना देता है। इसपर प्रोफेसर यासीन कोई उत्साह नहीं दिखाते और समययान से जरूरी अपने समय के पर्यावरण को बताते हैं और उसकी रक्षा का प्रण लिए प्रयोगशाला से बाहर निकल जाते हैं।

चश्मदीद गवाह- ज़ाकिर अली 'रजनीश' ने इस विज्ञान कथा में पॉलीग्राफ यंत्र के द्वारा हत्या के राज को फाश करने के घटनाक्रम को कहानी का आधार बनाया है। कहानी के नायक डॉ. सुधाकर के मित्र प्रोफेसर सूर्य प्रकाश एक वनस्पति वैज्ञानिक हैं, जो पौधों के प्रतिरक्षा तंत्र को लेकर महत्वपूर्ण खोज करते हैं। उनका नौकर किशोरी पैसों के लालच में उन पेपर का सौदा कर लेता है। लेकिन जब वह उनकी फाइल ले जा रहा होता है, तो उसी समय प्रोफेसर सूर्य प्रकाश वहां आ जाते हैं। बचने का कोई अन्य रास्ता न देखकर किशोरी उनकी हत्या कर देता है। डॉ. सुधाकर को जब यह पता चलता है, तो वे पॉलीग्राफ यंत्र और घटना स्थल पर मौजूद मनीप्लांट के पौधे के सहयोग से हत्यारे का राज खोलने में कामयाब हो जाते हैं।

और वह जी उठा- जाकिर अली 'रजनीश' ने अपनी इस विज्ञान कथा में `हिमीकरण द्वारा पुनरूज्जीवन´ की कल्पना को आधार बनाया है। कहानी के नायक डा0 वजाहत के सामने एक सैनिक का शव लाया जाता है, जिसकी कुछ देर पहले बर्फ में दब कर मृत्यु हो चुकी है। उस व्यक्ति के सीने में आतंकवाद से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण राज दफ्न है, इसलिए कैप्टन उसे बचाने के लिए डॉक्टर पर विशेष दबाव डालते हैं। डॉ. वजाहत उस जवान पर `हिमीकरण द्वारा पुनरूज्जीवन´ परिकल्पना को आजमाने का निश्चय करते हैं। एक लम्बी और उबाऊ प्रक्रिया के बाद डॉ. वजाहत की मेहनत रंग लाती है और कुछ समय के बाद उस जवान की सांसें फिर से चलने लगती हैं।

विस्फोट- इस विज्ञान कथा में जाकिर अली 'रजनीश' ने अदृश्य होने की परिकल्पना को आधार बनाया है। कहानी का नायक शाहिद अंतकवाद का शिकार एक जवान है। वह आतंकवादियों के गढ़ का खात्मा करने के लिए एक ऐसे पदार्थ का निर्माण करता है, जिसे लगाने के बाद व्यक्ति का शरीर अदृश्य हो जाता है। बाद में पता चलता है कि वह पदार्थ अत्यंत विषैला होता है और शरीर पर उसका लेप करने से जान जाने का भी खतरा है। लेकिन अपनी जान की परवाह न करते हुए शाहिद अपने शरीर पर उसका लेप लगाकर आतंकवादियों के गढ़ में जाता है और उन्हें टाइम बम से नष्ट कर देता है। घायल अवस्था में शाहिद को भारतीय सेना द्वारा अस्पताल में ले जाया जाता है और उससे इससे सम्बंधित पूछताछ की जाती है। लेकिन शाहिद बिना कुछ बताए इस दुनिया से विदा हो जाता है। और इस प्रकार उस अदृश्य करने वाले पदार्थ का रहस्य, रहस्य ही रह जाता है।

चुनौती- प्रोफेसर मुबारक उस जींस की खोज करने में कामयाब हो जाते हैं, जो शरीर में मौजूद कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार होता है। वे उसे हटाने के बाद देखते हैं कि चूहों की उम्र दोगुनी हो गयी है। प्रोफेसर इस प्रयोग को मनुष्यों पर दोहराना चाहते हैं। लेकिन उनके इस काम को ईश्वर के काम में अडंगा मानकर कुछ लोग उनपर हमला कर देते हैं, जिसमें उनकी मृत्यु हो जाती है। उनकी बेटी जोहरा अपनी सुरक्षा की परवाह न करते हुए अपने भाई के पास अमेरिका जाने से इनकार कर देती है और अपने पिता की खोज को अंजाम तक पहुंचाने के लिए समर्पित हो जाती है।

कयामत आने वाली है- प्रोफेसर शाह को एक दिन ऐसी उड़नतश्तरी के बारे में पता चलता है, जो धरती से कार्बन डाई आक्साइड चुरा कर अपने ग्रह पर ले जाती है। शाह जब अपने यंत्रों के द्वारा उस उड़नतश्तरी का पीछा करते हैं तो उन्हें पता चलता है कि ब्रह्मांण में स्थित एक ग्रह के लोग सांस के रूप में कार्बन डाई आक्साइड को लेते हैं। चूंकि उनके ग्रह पर कार्बन डाई आक्साइड के सोर्स समाप्त हो चुके हैं, इसलिए वे धरती से उसे चुराने का काम करते हैं। साथ ही वे धरती पर आक्रमण करके यहां के लोगों को गुलाम भी बनाना चाहते हैं। तभी प्रोफेसर शाह का जासूसी उपकरण पकड़ा जाता है और नष्ट कर दिया जाता है। यह देखकर प्रोफेसर हताश हो जाते हैं और अपने आप को पर्यावरण की चिंताओं से घिरा हुआ पाते हैं।

उड़ने वाला आदमी- विजय को आसमान में उड़ने का जुनून है। वह पक्षियों की तरह उड़ना चाहता है। इसपर उसका दोस्त अजीज उसका मजाक उड़ाता है। यह सुन कर विजय उससे वादा करता है कि एक न एक दिन वह उड़ कर अवश्य दिखाएगा। और जब तक ऐसा नहीं कर पाएगा, तुम्हारे सामने नहीं आएगा। फिर एक दिन घटनाक्रम ऐसा बीतता है कि विजय सचमुच गुरुत्वाकर्षण को मात देकर उड़ने का तरीका इजाद कर लेता है। लेकिन जब तक अजीज उसके पास पहुंचता है, दुर्घटनावश उसका प्राणान्त हो चुका होता है। और इस तरह उसका आसमान में उड़ने का तरीका रहस्य बनकर ही रह जाता है।

परिपथ- जाकिर अली 'रजनीश' की इस विज्ञान कथा में एक खोजबीन प्रवृत्ति के बच्चे के सपनों को उकेरा गया है। कहानी का नायक आफाक एक ऐसा मोटर बनाना चाहता है, जो उससे जुड़ी बैटरी से ही चल सके। यह बैटरी मोटर को चलाने के साथ उसे चार्ज करने वाले चार्जर को भी ऊर्जा प्रदान कर सके। इस तरह बिना किसी अतिरिक्त ऊर्जा के मोटर अपना काम कर सके। आफाक के अब्बू उसकी इन कारगुजारियों से बेहद खफा होते हैं, लेकिन जब उनके पड़ोसी सहाय जी आफाक के प्रोजेक्ट के महत्व को बताते हैं, तो उनके विचार बदल जाते हैं और वे आफाक को हर सम्भव सहायता के लिए प्रस्तुत हो जाते हैं।

परछाई- शादाब एक होनहार डॉक्टर है। वह अपनी पत्नी नूर से उसका क्लोन बनाने का वादा करता है। शादाब की अथक मेहनत के बाद उसका सपना साकार हो जाता है। लेकिन क्लोन के दोगुनी गति से होने वाले विकास को देखकर नूर डर जाती है और उसे नष्ट करने को कहती है। शादाब इससे मना कर देता है। संयोग से कुछ समय के बाद नूर का एक्सीडेंट हो जाता है। उसके बचने की कोई उम्मीद न देखकर शादाब उसके गर्भाशय में पल रहे भ्रूड को नूर के क्लोन 'नूरी' में प्रतिस्थापित कर देता है और उसे अपनी पत्नी के रूप में घर में ले आता है। नूरी बच्चे को जन्म देती है। लेकिन उसके मस्तिष्क की लिम्बिक काशिकाएं विकृत हो जाने के कारण वह असामान्य हो जाती है और स्वयं जनित दुर्घटना में जान गंवा देती है। यह देखकर डॉक्टर शादाब को एहसास होता है कि नूर का क्लोन सिर्फ उसकी एक परछाई थी। और परछाई भला कब तक उसका साथ निभाती।